Sunday, March 16, 2008

In Rising India

रोज बढ़ते हुए sensex के ज्वार में
हम भी खोये थे Raising India के खुमार में

आने वाले टाइम में इंडिया दुनिया में छा जाएगा
चीन, जापान, अमेरिका हर कोई बस मुह देखता रह जायेगा

कुछ इन्ही बातों पे कार के अंदर बहस छीड़ी थी
किसे परवाह की ट्रैफिक सिग्नल पे कितनी भीड़ खड़ी थी

तभी किसी ने कार के शीशे पे धीरे- धीरे २-३ थपकी दी
'होगा कोई भिखमंगा', ये सोच सबने उधर निगाहें की

उनकी इस सोच के पीछे अपनी एक ठोस जमीं थी
सवा सौ करोड़ के देश में क्या भिखमंगो की कोई कमी थी

भीख मांगने के भी सबके अपने तरीके होते हैं
किसी ने दो दिन से नहीं खाया तो कुछ काले चश्मे में अंधे बने होते हैं

कोई कहता है की दुसरे शहर से आया हूँ और जेब कट गयी
समझ नहीं आता की आज फिर ये घटना इन्ही के साथ कैसे घट गयी

अपने इसी कौतुहल से सब शीशे की ओर देख रहे थे
और शीशा उतरने से बाहर के दृश्य स्पष्ट हो रहे थे

अब समझ आरहा था की जनता छाव को तरस रही थी
क्युकी सूरज से मानो आज किरणों की जगह आग बरस रही थी

खैर, हम सबने बिलकुल सही अनुमान लगाया था
भीख मांगने को एक महिला ने खिड़की से हाथ बढाया था

पर उस महिला को देख जैसे सबको साँप सूंघ गया
कार के अन्दर हर कोई एक पल को स्तब्ध रह गया

भीख मांग रही वो महिला गर्भवती थी
इस सत्य की स्पष्टता कपड़ो से भी नहीं ढकी थी

कुछ पैसे हथेली पे रख, सबने निगाहें जमाली सिग्नल पर
पर अन्दर ही अन्दर जैसे, हम सब क झुक गए थे सर

पिछली सारी बहस और सारी बातो को चीरती
आने वाले Rising India की ये भी एक तस्वीर थी

"पाल नहीं सकती तो क्यों कर रही है पैदा इसे"
पीछे कुछ दूर चल रहे इस वार्तालाप ने, फिर झकझोर दिया जैसे

क्या यही भविष्य है देश का , या वो देश में भागीदार नहीं
क्या एक गरीब को अब यहाँ जन्म लेने का भी अधिकार नहीं

जाने कितने सवाल है उस एक कहानी में बधे हुए वो महिला जो कुछ दिनों में एक माँ का दर्जा पा जायेगी पर अपने बच्चे को क्या देगी , किस तरह से स्वागत करेगी उसका इस दुनिया में, क्या देगी उसे विरासत में , शायद गरीबी और भूखमरी ........ In Rising India

- Shubhashish

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